हरियाणा में ऐतिहासिक जीत के बाद अब भाजपा का फोकस राज्य में नई सरकार के गठन पर केंद्रित हो गया
नई दिल्ली
हरियाणा में ऐतिहासिक जीत के बाद अब भाजपा का फोकस राज्य में नई सरकार के गठन पर केंद्रित हो गया है। आज (गुरुवार को) भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक होने वाली है, जिसमें सभी 48 विधायक शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में सरकार गठन को लेकर चर्चा हो सकती है लेकिन अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व लेगा। बहरहाल पार्टी के अंदरखाने इस बात की चर्चा हो रही है कि जातिगत सनीकरणों को साधते हुए राज्य में किस जाति से कितने और कौन-कौन मंत्री हो सकते हैं।
नई सरकार के मुखिया नायब सिंह सैनी ही होंगे, भाजपा ने पहले से ही इसकी मंजूरी दे दी है। नायब सिंह सैनी ने एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। अब उनकी सरकार में मंत्रियों के नामों पर मंथन चल रहा है। मुख्यमंत्री समेत अधिकतम कुल 14 मंत्री हो सकते हैं। पिछली सरकार के दो ही मंत्री (मूलचंद शर्मा और महिपाल ढांडा) अपनी सीट बचा पाए हैं, इसलिए कैबिनेट में 11 नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है और उनकी तलाश तेज हो गई है। पार्टी इसके लिए जातिगत समीकरणों का भी ख्याल रख रही है। भाजपा की ऐतिहासिक जीत में दलित समुदाय का अहम योगदान रहा है राज्य की कुल 17 आरक्षित सीटों में से 9 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। इसलिए नई सरकार में उनकी नुमाइंदगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। चुनाव नतीजों के आंकड़ों के मुताबिक, पंजाबी मूल के आठ, ब्राह्मण समुदाय से सात, जाट और यादव समुदाय से छह-छह विधायक जीतकर आए हैं। इनके अलावा गुर्जर, राजपूत, वैश्य और एक ओबीसी विधायक भी हैं।
किस समुदाय से कौन बन सकते हैं मंत्री?
दलित विधायकों में कृष्णलाल पंवार छह बार के विधायक हैं, जबकि कृष्ण बेदी दो बार के विधायक हैं। इन दोनों के नामों का चर्चा मंत्री पद के लिए हो रही है। पंजाबी मूल के आठ विधायकों में अनिल विज भी एक नाम हैं, जो राज्य के पूर्व गृह मंत्री हैं और सात बार के विधायक हैं। वह इसी साल मार्च में नाराज हो गए थे, जब खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया था। इसी समुदाय से जींद के विधायक कृष्णन मिड्ढा भी हैं, जो तीसरी बार इस सीट से जीते हैं। इनके अलावा इस समुदाय से दो और नेताओं के नाम की चर्चा है। इनमें यमुनानगर से घनश्याम दास अरोड़ा और हांसी से विधायक विनोद भयाना का नाम शामिल है। अरोड़ा का पत्ता इसलिए कट सकता है क्योंकि वह भौगोलिक रूप से अंबाला क्षेत्र से आते हैं, जबकि वहां से अनिल विज की दावेदारी पहले से ही मजबूत मानी जी रही है।
ब्राह्मण और जाट समुदाय में किसकी चर्चा
ब्राह्मण समुदाय से बल्लभगढ़ से तीन बार विधायक रह चुके मूलचंद शर्मा को मंत्रिमंडल में बनाए रखा जा सकता है। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, इनके अलावा अरविंद शर्मा का भी नाम संभावित है, जो दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और जिन्होंने गोहाना सीट जीती है। इनके अलावा राम गौतम, जिन्होंने सफीदो सीट जीती, जिसे भाजपा ने कभी नहीं जीत पाई थी, उनके नाम के भी चर्चे हैं। अहीरवाल बेल्ट से भाजपा के छह विधायक जीते हैं। इस इलाके ने भाजपा को बंपर वोट किया, इसलिए जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बादशाहपुर से छह बार के विधायक रहे राव नरबीर सिंह का नाम मंत्री पद के लिए आगे चल रहा है। वह 2014 की मनोहर लाल खट्टर सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव ने पहली बार अटेली सीट जीती है, उनके भी नाम के चर्चे हैं। दो बार विधायक रह चुके लक्ष्मण यादव भी रेस में बताए जा रहे हैं।
जाट समुदाय से कौन होगा मंत्री?
जाट नेता महिपाल ढांडा निवर्तमान सैनी सरकार में मंत्री थे। वह पानीपत (ग्रामीण) से दोबारा जीते हैं। उन्हें कैबिनेट में बरकरार रखने की संभावना है। राई से दूसरी बार निर्वाचित कृष्णा गहलावत भी इस दौड़ में बताई जा रही हैं। इनके अलावा राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी, जो तोशाम से जीती हैं, उनका भी नाम मंत्रियों के संभावित चेहरों में है। अन्य संभावित नामों में वैश्य समुदाय से पूर्व मंत्री विपुल गोयल शामिल हैं। एक बड़ा नाम सावित्री जिंदल का है, जो भारत की सबसे अमीर महिला हैं और हिसार से निर्दलीय विधायक हैं, जिन्होंने कल औपचारिक रूप से भाजपा को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। राजपूत समुदाय से श्याम सिंह राणा और तीन बार के विधायक हरविंदर कल्याण को मंत्री बनाया जा सकता है। इसके अलावा रणबीर गंगवा ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं; वे पिछली सरकार में डिप्टी स्पीकर थे। तिगांव से दो बार के विधायक राजेश नागर को गुर्जर चेहरे के रूप में कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
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